॥ गूरूकार्य ॥

गुरु  की  आज्ञा  से  और  उनकी  अनुमति  से  जब  हम  गूरूकार्य  करते  है  तो  हम  केवल  एक  माध्यम  बन  जाते  है  और  गुरुशक्तियाँ  ही  सारा  कार्य  कर  लेती  है । गूरूकार्य  को  इस  प्रकार  से  परिभाषित  किया  जा  सकता  है  की  एक  आत्मा  के  द्वारा  परमात्मा  के  लिए  किया  गया  कार्य  ही  "गूरूकार्य " कहलाता  है ।

पूज्य गुरुदेव
ही .का .स .योग
भाग ५ पृष्ठ १०५

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