स्वामीजी पधारो

वैसे  तो  गुरु  के  दर्शन  की  अभिलाषा  सभी  साधकों  को  सदैव  होती  ही  है । किंतु  विशेष  उत्सवों  के  समय  यह  उत्कंठा , यह  अभिलाषा  अपने  चरमोत्कर्श  पर  होती  है । गुरु  के  आगमन  से  पूर्व  ही  वातावरण  चैतन्यपूर्ण  हो  उठता  है । सुगमसुगंध  से  परिपूर्ण  सूरभित  पवन  तथा  पंछियों  का  सुमधुर  कलरव  भी  गुरुस्वागत  में  रागिनी  छेडते  हुए  कहता  है , "स्वामीजी पधारो "।

वंदनिय गुरुमाँ

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