'गुरुकार्य' यानी आत्मा का कार्य

'गुरुकार्य' यानी आत्मा का कार्य, जिसे करने से अपनी आत्मा को प्रसन्नता मिले, वह कार्य। क्यूँकि आत्मा को प्रसन्न करने के लिए हम जो भी कार्य करेंगे, उस से आत्मा प्रसन्न होगी। और आत्मा प्रसन्न होगी तो उसकी ग्रहण करने की क्षमता बढ़ेगी तो आध्यात्मिक प्रगति होगी।

HSY 4 pg 215

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