बचपन से आध्यात्मिक बातों में रुचि थी। - बाबा स्वामी
बचपन से आध्यात्मिक बातों में रुचि थी। बचपन से ही घर में भी आध्यत्मिक वातावरण मिला था लेकिन निर्णय लेनी की क्षमता नहीं थी। दूसरा , इस विषय को समझे ऐसा मुझे मेरे नानी के बाद कोई नहीं मिला , जिसने सामने मैं दिल खोलकर बात कर सकूँ। मैनें बात करने की इच्छा भी की हो पर बात निकल ही नहीं पाती थी। नानी थी जिसे बचपन में अपनी मन की सब बातें , वे अच्छी हों या बुरी , सब बताता था। मन कोई भी प्रश्न हो , वह बताता था। नानी भी जितना उसे समझता था। समझाती थी । लेकिन वह भी खोज ही रही थी। एक तो मुझे समय देने के लिए किसी के पास समय ही नहीं था , नानी ही थी जो समय देती थी। भीतर बात निकलने में समय लगता है। थोड़े देर किसी के साथ बैठकर बातें करने से बात निकलती नहीं है। मेरे जीवन में नानी कम ही समय रही लेकिन जितने समय रही उसने मुझे खूब समय दिया और उसे के कारण मेरे अंतरंग संबंध मेरे नानी के साथ जुड़ गए थे
भाग - ६ - १३४
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