श्री गुरुशक्तिधाम आध्यात्मिक महत्व
*१. आत्मसाक्षात्कार और सुरक्षा कवच:*
*नए
आविष्कार के समान* भविष्य को ध्यान में रखते हुए ये श्री गुरुशक्ति धाम
निर्मित हो रहे हैं। *अगले कम से कम आठ सौ सालों तक इनके सान्निध्य में
आत्मसाक्षात्कार प्राप्त किया जा सके, आनेवाले प्रत्येक मनुष्य के आसपास
सशक्त आभामंडल का निर्माण हो , उसे ध्यान की उच्चतम आध्यात्मिक स्थिति
प्राप्त हो* , इस संकल्प के साथ पूज्य स्वामीजी द्वारा इन मंगलमूर्तियों की
प्राण-प्रतिष्ठा की गई है।
*२. सान्निध्य*
प्राचीन समय में मूर्तियों का उपयोग *पूजा-अर्चना के लिए नहीं होता था , सान्निध्य के लिए होता था।* श्रद्धालु सान्निध्य प्राप्त करते थे, *चैतन्य प्राप्त करते थे।* तो उसी परंपरा को समाज में फिर से स्थापित करने के लिए एक ध्यान-मंदिर की स्थापना की जा रही है जहाँ *पूजा-अर्चना नहीं पर शांति से बैठकर ध्यान कर सकते हैं, चैतन्य का अनुभव कर सकते है , उसे संग्रहित कर सकते है।*
पूज्य स्वामीजी समझाते हैं कि हम अगर श्री गुरुशक्तिधाम में प्रवेश करते समय अपने-आप को संतुलित करके, अपने-आप को एक पवित्र आत्मा समझकरके जाते हैं तो *वहाँ स्थापित ऊर्जा और चैतन्य को ग्रहण कर सकते हैं और एक आत्मानंद की हमे अनुभूति प्राप्त हो सकती है।*
Comments
Post a Comment