चैतन्य का बरसना गुरु की प्रसन्नता पर ही निर्भर

चैतन्य का बरसना गुरु की प्रसन्नता पर ही निर्भर कर्ता है। गुरु अच्छे भाव के कारण, प्रेम के कारण, आत्मीय भाव के कारण, समूहिकता के कारण प्रसन्न होते है। और जब प्रसन्न होते है, वह चैतन्य बरसने के लिए उचित माध्यम बनता है। और जब उपयुक्त माध्यम बनता है, तभी उसके माध्यम से परमात्मा का चैतन्य बरसने लगता है।
 बाबा स्वामी
HSY 1 ph 295

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