"शिर्डी"- मोक्ष का महाद्वार
इतने बड़े संसार में अपने 'माध्यम'को चुनना बड़ा ही कठिन कार्य है । - - - अगर उपरोक्त स्थिति जैसी आपके आत्मा की स्थिति है तो एकमात्र उपाय है - - "जीवंत समाधीस्त गुरु "को र्हदय से प्रार्थना करना और प्रार्थना भी लाखों की सामूहिकता में रहकर करना । और ऐसा स्वर्णिम अवसर "श्री साईबाबा समर्पण ध्यान महाशीबीर "के रूप में आपको मिल रहा है । क्योँकि अब तक श्री साईबाबा की समाधि के पास "भौतिक बाते "बहुत माँग ली । इस बार "आत्मसाक्षात्कार "की इच्छा कीजिए ताकि बाद में जीवन में माँगने के लिए कुछ बाकी ही न रह जाए । इसीलिए शिर्डी "मोक्ष का द्वार "है , लेकिन आपको ही "प्रार्थना "करके वह द्वार खोलना होगा और अनुभूति के जगत में प्रवेश करना होगा ।
पूज्य स्वामीजी
मधुचैतन्य -अ.म.जून २०१३
मधुचैतन्य -अ.म.जून २०१३
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