पाना और देना, एक ही सिक्के के दो पहलू
पाना और देना, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। पाने की इच्छा रखोगे, तो भी मिलेगा और देने की इच्छा रखोगे, तो भी मिलेगा। पर देने की इच्छा नहीं रहेगी, तो दे नहीं पाओगे। देने की इच्छा से दो बातें होती हैं- पाया भी जाता है और दिया भी जाता है।...।। मेरी देने की इच्छा के कारण ही मुझे अनायास ही मिल जाता है। पाना नहीं पडा है, मिल गया है।
हि.स.यो.३/२३२
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