श्री गुरूशक्तिधाम
किसी जीवंत गुरु ने , किसी जीवंत माध्यम ने अपने जीवनकाल में अपनी स्थिति मूर्ति में संकल्प के रूप में स्थापित की हुई है । जैसे मुझे आत्मसाक्षात्कार मिला , जैसी मोक्ष की स्थिति मुझे मेरे जीवनकाल में प्राप्त हुई , वोही मोक्ष की स्थिति जो इच्छा करे उसे प्राप्त होनी चाहिए ये संकल्प उसके भीतर डाला गया है तो उसके सामने आमसाक्षात्कार मिलता है और मिल सकता है । ये अद्वितीय है । ये ना कभी था , ना कभी हुआ है । . . .
परमपूज्य स्वामीजी
गुरुपुर्णिमा - २०१६
गुरुपुर्णिमा - २०१६
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