वास्तव में, सुख यानी क्या,?
वास्तव में, सुख यानी क्या,? यह आत्म सुख की खोज ही फिर व्यक्ति को किसी जीवंत(सजीव) गुरु के सान्निध्य में ले जाती है। और फिर उसके सान्निध्य में जब अनुभूति होती है, तब ही वह जान पाता है की आत्मसुख क्या है। और फिर बुद्धि भी गिर जाती है और वह परमसुख का अनुभव कर पाता है, उसका सारा विश्व वही पर सीमित हो जाता है।
बाबा स्वामी
HSY 2 pg 97
HSY 2 pg 97
Comments
Post a Comment