चैतन्य का अनुभव

चैतन्य का पहला प्रभाव ये चुंबकिय तरंगें ही होती है जो हमारी आत्मा को अपनी ओर खींचती है | और शरीर चाहे, न चाहे, आत्मा शरीर को जाने- अनजाने में उस ओर ले ही जाती है | और आत्मा यह इसलिए भी करती है क्योंकि शरीर की अपेक्षा आत्मा चैतन्य का अनुभव जल्दी करती है | क्योंकि चैतन्य परमात्मा की शक्ति है और इस, परमात्मा की शक्ति को आत्मा पहचानती है | इसीलिए आत्मा परमात्मा की शक्ति कीओर आकर्षित होती है | और दूसरा, आत्मा का शरीर पर नियंत्रण हो जाता है | मनुष्य आत्मसम्मोहीत हो जाता है और आत्म-नियंत्रित हो जाता है | और फिर आत्मनियंत्रित हो जाने के कारण वह वही कार्य करता है जो उसकी आत्मा चाहती है और इसलिए आत्मा शरीर को चैतन्य के पास बार-बार ले जाती है |

बाबा स्वामी

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