मैं तुम्हें लेने आया हूँ। मुझे तुम्हारे गुरु ने भेजा है।
मैं तुम्हें लेने आया हूँ। मुझे तुम्हारे गुरु ने भेजा है। तुम रोज ध्यानसाधना करते थे , वह मुझे मालूम था कि तुम एक अवस्था तक पहुँचकर अटक गए हो। मैं जाना गया था , तुम तुम्हारे ही सम्मोहन के वश हो गए हो। अगर ऐसा रहा तो यहीं तक अटककर रह जाओगे। तुम्हें जीवन में बहुत आगे जाना है। यह गाँव तुम्हारा कार्यक्षेत्र नहीं है। तुम तो इसी गाँव को पकड़कर बैठ गए ! मैं हिमालय के उस उच्च शिखर पर ध्यानस्थ रहा हूँ। इस गाँव के बारे में मुझे भी जानकारी है , पर मैं यहाँ कभी नहीं आया। मैं तुम्हें यब बताऊँ , इस दुविधा में था , तो तुम्हारे ही गुरुदेव का आदेश आया कि वह चला था मुझ तक पहुँचने और वह अटक ही गया है , उसे बाहर निकालो। इसीलिए मैं तुम्हें लेने आया हूँ। तुम्हें जंगलों में जाना है। वे तुम्हारे गुरु तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं। चलो जल्दी , तुम्हें वहाँ भेजकर मुझे भी वापस जाना है। मैंने कहा , एक दिन रुक जाते हैं। उन गाँववालों से मिलकर चलते हैं। मैंने उन्हें एक दिन रुकने की विनती की। उन्होंने कहा , बच्चे , यही मोह है।
भाग - २ - १९८
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