प्रथम श्री गूरूशक्तिधाम , समर्पण आश्रम , दांडी
इसे बनाने में बडी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पत्थर लेने मुझे स्वयं 'मकराना' जाना पड़ता था। जमीन की समस्या , बाँधकामा की समस्या , खूब समस्याओं का सामना करके उस समय के पुराने साधकों के प्रयास से आज यह खड़ा हो सका है। तब १२साल पहले साधकों की संख्या भी सैकड़ों में ही थी।
इसके निर्माण में 'गुजरात' के साधक और 'साधिकाओं का 'भाव' और महत्वपूर्ण योगदान है। और आज की पिढी उसका लाभ ले पा रही है। उनसे जैसा भी बन पाया , उन्होंने बना दिया था। इसमें सबसे बड़ी बात थी श्री मंगलमूर्ति की संपूर्ण भाव के साथ की गई स्थापना और इसी भावपूर्ण स्थापना के कारण ही आज विश्वभर में समर्पण परिवार हो सका है। यह कहे तो अतिशयोक्ती नहीं होगी कि यहीं पावर हाऊस है जहाँ से विश्वभर में ऊर्जा शक्ति प्रवाहित की जा रही है।
*आत्मेश्वर(आत्मा ही ईश्वर है) पृष्ठ:१८*
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