मुक्त अवस्था

     "मुक्ति" भी पाना नही है ।हमारी आत्मा तो मुक्त ही है ,शरीर ने जो झमेले बाँधकर रखे है ,हमें उनसे मुक्त होना है ।आप सभी अपने जीवन में उस मुक्त अवस्था तक पहुँचे ,जिस अवस्था में पाने के लिए जीवन में  कुच्छ भी नही रहता है ।यही परमात्मा से "प्रार्थना "है ।आप सभीको खूब -खूब आशीर्वाद !

आपका अपना               
बाबा स्वामी . . .
महाशिवरात्रि
13/02/2018
मंगलवार . . .

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