बिना गुरु के आध्यात्मिक प्रगती संभव ही नही
बिना गुरु के आध्यात्मिक प्रगती संभव ही नही है । यह एक जन्म में भी संभव नही है । यह तो आत्मा की क्रमबद्ध प्रगती से ही संभव है ।
एक जन्म में पुण्यकर्म घटित होते है ।
अगले जनम में शुद्ध इच्छा होती है ।
उसके अगले जनम में सद् गुरु मिलते है ।
उसके अगले जनम में सद् गुरु से अध्यात्म का बीज प्राप्त होता है ।
और उसके अगले जनम में वातावरण प्राप्त होता है ।
और उसके अगले जनम में संगत प्राप्त होती है ।
और उसके अगले जनम में प्रगती होती है ।
और उसके अगले जनम में एक शून्य की अवस्था प्राप्त होती है । और वही जन्म मनुष्य का आखिरी जन्म होता है क्योकि मोक्ष की अवस्था उसी जन्म में प्राप्त हो जाति है ।....
एक जन्म में पुण्यकर्म घटित होते है ।
अगले जनम में शुद्ध इच्छा होती है ।
उसके अगले जनम में सद् गुरु मिलते है ।
उसके अगले जनम में सद् गुरु से अध्यात्म का बीज प्राप्त होता है ।
और उसके अगले जनम में वातावरण प्राप्त होता है ।
और उसके अगले जनम में संगत प्राप्त होती है ।
और उसके अगले जनम में प्रगती होती है ।
और उसके अगले जनम में एक शून्य की अवस्था प्राप्त होती है । और वही जन्म मनुष्य का आखिरी जन्म होता है क्योकि मोक्ष की अवस्था उसी जन्म में प्राप्त हो जाति है ।....
प..पू..स्वामीजी
ही..स..योग ५
प्रुश्ठ..२८
ही..स..योग ५
प्रुश्ठ..२८
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