समर्पण आश्रम दांडी का इतिहास

अरब सागर के दांडीतट पर स्थित समर्पण आश्रम दांडी समर्पण परिवार का प्रथम आश्रम है। गुरूशक्तियों के संकेत से प्रेरणा लेकर दांडी में आश्रम बनाने का निर्णय लिया गया। २६दिसम्बर २००४ रविवार , दत्त जयंती के शुभ दिन इस आश्रम का शिलान्यास परम पूज्य सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी के शुभ हस्तों से हुआ। 

आश्रम बनाने हेतू जब जमीन मिली , तब वहाँ कँटीली झाडीयों का जंगल था। अनगिनत साधकों के अथक परिश्रम से यह भूमि आश्रम बनाने योग्य हो पाई। वहाँ सर्व प्रथम टिन के पतरों से गोदामनुमा एक कमरा बनाया गया तथा पुज्य स्वामीजी हेतु एक पर्णकुटी बनाई गई। गोदामनुमा कक्ष में दो-तीन दो तीन साधक बारी-बारी से रहने लगे। उन दिनों वहाँ न बिजली थी , न पानी था , न अनाज था और न ही सब्जियाँ थी। प्रत्येक वस्तू पाँच किलोमीटर दूर स्थित गाँव से लानी होती थी। किंतु साधकोंने असुविधा की ओर ध्यान नही दिया । वहाँ के चैतन्यपूर्ण वातावरण में खुश रहते थे। साधकों का आवागमन क्रमशः बढ़ता गया और आश्रम का भौतिक विकास होता गया। धीरे-धीरे साधकों के निवास के हेतु कच्चे कुटीर बनाए गए और गिर प्रजाति की गायों का संवर्धन करने के उद्देश्य से गोपालन भी शुरू किया गया। साधक अधिकांशतः सप्ताहात ही आते थे। अंत: गौमाता के आगमन से आश्रम के वातावरण में जिवंतत आ गई। फिर दांडी की मुख्य सड़क से बिजली के तार आश्रम तक लिए गए और आश्रम रात्री के समय प्रकाशित रहने लगा। कालांतरा में आश्रम में यज्ञशाला, पुस्तकालय, ध्यान खंड, फल-सब्जी की वाटिका , अन्न क्षेत्र (जिसका विशाल स्वरूप आज का गुरू प्रसाद भवन है।) आदि की शुरुआत हुई। छोटा तालाब खुदवाने और जलशुध्धि संयंत्र (वॉटर प्लान्ट) की शुरुआत से पानी के मामले में आश्रम को थोडी सी राहत मिली। 

सन २००७ से पूज्य स्वामीजी ने समर्पण आश्रम , दांडी में पैतालिस दिवसीय गहनध्यान अनुष्ठान की शुरुआत की। इन पैतालिस दिनों में पूज्य स्वामीजी एकांत में रहते है। अब तक स्थापित हुई सभी मंगलमूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा पूज्य स्वामीजी ने इस आश्रम में ही की है। इस आश्रम और अन्य आश्रम में भी स्थापित श्री गुरूशक्तिधाम हज़ारों लाखों साधकों के श्रध्धा स्थान बन चुके है। इस अनुष्ठान के दिनों में देश-विदेश से हज़ारों साधक आश्रम आते है तथा यहाँ के चैतन्यपूर्ण वातावरण में ध्यान साधना करते है। 

           *--- आपकी गुरूमाँ*
स्त्रोत --- *समर्पण आश्रम दांडी*

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