समर्पण

"आज विश्व में जितनी भी ध्यान की पद्धतियाँ हैं , उन पध्दतियों में या तो सांस पर चित्त रखकर ध्यान किया जाता है या भस्त्रिका प्राणायाम करके ध्यान किया जाता है। समर्पण ध्यान कोई भी उपरोक्त पध्दती नहीं है। समर्पण ध्यान कोई ध्यान की पध्दती नहीं है। यह तो एक पवित्र आत्मा द्वारा एक पवित्र आत्मा पर किया गया एक संस्कार है। बस , यह संस्कार पाने के लिए पवित्र आत्मा होना पड़ता है और परमात्मा के माध्यम द्वारा परमात्मा को पूर्ण समर्पित होना पड़ता है। बस , 'संस्कार' घटित हो जाता है!"
    
बाबा स्वामी
*आत्मेश्वर (आत्मा ही ईश्वर है।) पृष्ठ : ८*

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