स्त्रीशक्ति
" जब तक स्त्रीशक्ति को समान दर्जा नही दिया जाएगा , तब तक समाज में कोई आध्यात्मिक क्रांति संभव नही है । क्योंकि तब तक समाज पंगु होगा । पंगु समाज कभी दौड़ नही सकता है । "
- ही.का.स.योग.-खंड 1
" स्त्री " को वस्तु का उपभोग करने से अधिक वस्तु को बाँटने में आनंद आता है । ग्रहण करणे की क्षमता स्त्री में अधिक होती है ।संगोपन की क्षमता स्त्री में अधिक । होती है । और बाँटने की क्षमता स्त्री में पुरुषों की अपेक्षा अधिक होती है । ये सब स्त्रीसुलभ विशेषताएँ है । इसलिए जब भी कभी आध्यात्मिक क्रांति इस जगत में आएगी , तो उस आध्यात्मिक क्रांति का क्रियान्वय स्त्रीशक्ति से ही होगा । . . . . "
- ही.का.स.योग.- -[१]
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