सब गुरुशक्तियों के द्धारा निच्छित

यह सब  गुरुशक्तियों के द्धारा निच्छित है। मनुष्य के शरीर की सिमाएँ हैं जो मनुष्य ने ही तैयार करके रखी हैं। भाषा , देश , धर्म , रग , जाती ये सब आत्मा के क्षेत्र में नहीं होती हैं। आत्मा इन सबसे ही मुक्त है। आत्मा का अपना अलग ही विश्व है। वह इस विश्व से अलग है। वह विश्व का माध्यम मेरे गुरयदेव ने मुझे बनाया है। कितना व्यापक दृष्टिकोण है और कितना व्यापक क्षेत्र है ! आज यह सब असंभव-सा लग रहा है लेकिन यही सब कल संभव होगा। ये सब बातें में तुझे इसलिए बता रहा हूँ ताकि तू अपनी मानसिक तैयारी करके रख और जो मुझे लगता है , वह में तुझे बताता हूँ । यह अधिकुत शब्द छोटा-सा है। लेकिन एक शब्द में गहन अर्थ छुपा हुआ है

भाग ६ -१३७

 गुरुशक्तियों

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