'समाधीस्त 'होने के बाद ही प्रारंभ होगा

      मेरे गुरुदेव ने सत्य ही कहा था । तेरे कार्य का विस्तार तेरे 'समाधीस्त 'होने के बाद ही प्रारंभ होगा । क्योंकि जब तक लोगों का देहभाव छूटता नही है तब तक सूक्ष्म से जुड़ा नही जा सकता है । तु स्थूल में होकर भी "सूक्ष्म में होगा लेकिन लोग तो "स्थूल में ही होंगे । वे जब तक स्थूल शरीरभाव से मुक्त नही होते वे तेरे जीवनकाल में तुझसे जुड़ ही नही सकते है । स्थूल शरीर छूट जाने के बाद सारी शरीर की सीमाएँ समाप्त हो जाती है और फिर कार्य करने में एक प्रकार की स्वतंत्रता अनुभव होती है और फिर कार्य का विस्तार भी बहुत होता है । बाद में जाती , धर्म , देश , भाषा इन सब सीमाओं को तोड़कर भी पवित्र आत्माएँ खींची चली आती हैं । क्योँकि तब "माध्यम" माध्यम नही होता , "।  "हो जाता है । बहुत ही कम लोग होते है जो "माध्यम "जीवनकाल में उससे "सूक्ष्म में जुड़ पाते है । आप सभी को खूब -खूब आशीर्वाद !

आपका ,
बाबा स्वामी
१३/२/२०१८             
सोमवार . . .

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