शिक्षा के साथ - साथ आत्मज्ञान और चित्तशुद्धि का अभ्यास
ऐसा लगा कि स्कूल होला जाए, जहाँ शिक्षा के साथ - साथ आत्मज्ञान और चित्तशुद्धि का अभ्यास भी करवाया जाए तो ऐसा स्कूल से निकला हुआ विधार्थी इस विश्व में बिरला ही सिद्ध होगा। क्योंकि वह विद्यार्थी एक विशेष चित्त का धनी होगा। भविष्य की दुनिया मे चित्त का महत्त्व अधिक बठने वाला है।
भाग - ६ - १३०/१३१
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