बाहरी धर्म से भीतरी धर्म तक
आत्मा के द्वारा चुने हुए बाहरी धर्म को ही अगर हम अपना लें , तो उस बाहरी धर्म से भीतरी धर्म तक पहुँचा जा सकता है | यानि सब धर्म समान है | सभी धर्मों में मनुष्य धर्म की बात की गई है और सभी धर्मों का उद्देश्य मनुष्य धर्म को जगाना है | और धर्म का चुनाव आत्मा ने किया है ,इसलिए जिस घर में जन्म लिया ,उस घर के धर्म को मनुष्य को अपनाना चाहिए क्योंकि वही उसकी आध्यात्मिक प्रगति के लिए उपयुक्त है |
आध्यात्मिकता एक स्तिथि है जिस स्तिथि में परमात्मा की प्राप्ति होती है और यह आध्यात्मिक स्तिथि किसी भी धर्म के द्वारा प्राप्त की जा सकती है | या हम यह भी कह सकते हैं की आध्यात्मिक स्तिथि वह ठिकाना है जिसे किसी भी धर्म के मार्ग से पाया जा सकता है | इसलिए मनुष्य को अपने धर्म का ही पालन कर आध्यात्मिक स्तिथि को प्राप्त करना है | अपने धर्म को छोड़कर दूसरा धर्म ग्रहण करने की कोई आवश्यकता नहीं है |
आध्यात्मिक स्तिथि तक सब धर्मों से पहुंचा जा सकता है ,लेकिन उस आध्यात्मिक स्तिथि को प्राप्त करने के लिए प्रथम अपने धर्म को पकड़ना होगा ,अपने धर्म का पालन करना होगा और बाद में धर्म से परे पहुँचना होगा | धर्म भी माध्यम है आध्यात्मिक स्तिथि प्राप्त करने का | एक बार आध्यात्मिक स्तिथि प्राप्त हो गयी ,फिर कोई महत्त्व नहीं रह जाता है ,आप किस धर्म को अपनाकर इस और पहुंचे हैं | मकान तक पहुँचने के बाद सीढ़ी का कोई महत्त्व नहीं रह जाता है | इसलिए आपकी आत्मा ने जिस धर्म को धारण किया है ,वही मार्ग आपकी स्तिथि के अनुसार आध्यात्मिक स्तिथि पाने के लिए उपयुक्त है | धर्म को बिना अपनाए आध्यात्मिक स्तिथि नहीं पायी जा सकती है |
हि.स.यो.२/५५
Comments
Post a Comment