मन का समर्पण
समर्पण है मन का समर्पण । मन के समर्पण से मेरा आशय है मन से सदैव गुरुदेव का स्मरण करो और गुरुदेव मेरे साथ है , मेरा कभी कुछ बुरा हो नही सकता है , यह भाव रखो और कोई भी नकारात्मक विचार मत करो । दूसरा मन में भूतकाल के और भविष्यकाल के विचार मत करो । किसी का भी बुरा मत सोचो । सभी का कल्याण हो यह भाव ही मन मेँ रखो ।
आत्मेश्वर
पूज्य स्वामीजी - ८३
पूज्य स्वामीजी - ८३
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