गुरुतत्त्व परमात्मा की शक्ति
गुरुतत्त्व परमात्मा की शक्ति होती है और इस गुरुतत्त्व में जो आत्मा अपने शरीर को समाहित कर देती है , उस आत्मा को हम 'गुरु' कहते है | गुरु कोई शरीर नहीं है | गुरु गुरुशक्ति का माध्यम है |
गुरु से शक्ति प्राप्त करने का आसान मार्ग ही गुरु को समर्पण होता है | क्योंकि जैसे ही हम समर्पण करते हैं ,हमारा "मैं " का अहंकार टूट जाता है और हमारी ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है और हम गुरु को महसूस करने लगते हैं |
गुरु महसूस करने की शक्ति है | हमारा साथ रहकर काम नहीं चलेगा,गुरु को महसूस करना होगा | महसूस करके गुरु के भीतर के गुरुतत्त्व को समझा जा सकता है , जाना जा सकता है | यह तभी हो सकता है , जब आत्मा का आत्मा के साथ सम्बन्ध स्थापित हो जाए | ऐसा होने पर स्वयं अनुभूति का ज्ञान ,बाकि सब ज्ञान करा देता है | ऐसा ज्ञान कराता है ,जो ज्ञान भीतर होगा ,ऐसा हम कभी सोच भी नहीं सकते हैं |
हि.स .यो.१/२४७
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