साधना में पवित्रता

इस मार्ग में साधना में पवित्रता अत्यंत आवश्यक है। और जैसे साधना बठते जाएगी वैसे-वैसे कार्य बठते जाएगा और जीवन के उत्तरार्ध में सबसे बड़ी समस्या है कि अब अगली पीठी के लिए यह कार्य सौपने के लिए माध्यम किसे बनाएँ ? क्योंकि अगला माध्यम ऐसा चुनना होगा हो अगले ८०० सालों तक इस कार्य को आगे लेकर जाए और अब समाज में ऐसा माध्यम चुनना बड़ा कठीण लग रहा है। क्योंकि इतनी पवित्र और शुद्ध स्वरूप में रहकर समाज में रहना कठीण है तो ऐसा माध्यम समाज में मिलेगा कहाँ , यह प्रश्न है। जीवन के सभी प्रश्नों के उत्तर समय के साथ मिलते हैं। गुरुशक्तियाँ सब आगे तक का सोचती हैं। केवल उन पर विश्वास करके जब हम वहाँ पहुँचते हैं तो नया द्धार खुलता है 

भाग - ६ - १३९





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